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Published On : October 27, 2018 चारणों की उत्पत्ति – ठा. कृष्ण सिंह बारहट Author: ठाकुर कृष्णसिंह बारहट
चारणों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में ठा. कृष्ण सिंह बारहट ने अपने खोज ग्रन्थ “चारण कुल प्रकाश” में विस्तार से प्रामाणिक सामग्री के साथ लिखा है। उसी से उद्धृत कुछ प्रमाणों को यहाँ बताया जा रहा है। ये तथ्य हमारे प्राचीनतम ग्रंथों श्रीमद्भागवत्, वाल्मीकि-रामायण तथा महाभारत से लिए गए हैं। चारणों की उत्पत्ति सृष्टि-श्रजन काल से है और उनकी उत्पत्ति देवताओं में हुई है, जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत् का दिया जाता है कि नारद मुनि को ब्रह्मा सृष्टि क्रम बताते हैं, वहां के द्वितीय-स्कंध के छटे अध्याय के बारह से तेरह तक के दो श्लोक नीचे लिखते हैं :-

अहं भवान् भवश्चैव त मुनयोऽग्रजाः।। सुरासुरनरा नागाः खगा मृगसरीसृपाः।।१२।। गंधर्वाप्सरसो यक्षा रक्षोभूतगणोरगाः।। पशवः पितरः सिद्धा विद्याधरश्च चारण द्रुमाः।।१३।।

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